जानिए जेनेटिक इंजीनियरिंग में कैसे बनाएं बेहतर करियर
एजुकेशन डेस्क। किसी भी क्षेत्र में नई टेक्नोलॉजी के उपयोग के पीछे गहन शोधकार्य शामिल होते हैं। दवाइयां बनाने से लेकर फसलों की पैदावार और जीव जंतुओं के डीएनए में बदलाव से संबंधित किसी भी प्रकार की नई खोज जेनेटिक इंजीनियर द्वारा किए गए विभिन्न प्रयासों का हिस्सा होती है। ऐसे में जेनेटिक इंजीनियरिंग की भूमिका महत्वपूर्ण हुई है।
क्या है जेनेटिक इंजीनियरिंग
- जेनेटिक इंजीनियरिंग साइंस की एडवांस ब्रांच में से एक है। इसमें जीवित प्राणियों के जेनेटिक मटीरियल को विभिन्न तकनीकों के माध्यम से डीएनए कोड में परिवर्तित किया जाता है। पेड़-पौधों, जानवर और इंसानों के जेनेटिक मटीरियल या जींस को संशोधित कर नए और बेहतर गुण विकसित करना जेनेटिक इंजीनियरिंग कहलाता है। इसकी मदद से बेहतर फसलों की पैदावार करने तक में मदद मिलती है। जेनेटिक इंजीनियरिंग की मदद से वनस्पतियों और जीवों में बेहतर प्रतिरोधक क्षमता वाले गुण विकसित किए जाते हैं। बायोटेक्नोलॉजी में जेनेटिक इंजीनियरिंग का इस्तेमाल व्यापक रूप से किया जाता है। फार्मा प्रोडक्ट दवाइयों का प्रोडक्शन में जेनेटिक टेक्नोलॉजी का उपयोग होता है। इसकी बढ़ती मांग से जेनेटिक इंजीनियर या स्पेशलिस्ट की मांग देश के साथ विदेशों में भी बढ़ी है।
- जेनेटिक इंजीनियर का प्रमुख काम कृत्रिम तरीकों का उपयोग कर जीन में डीएनए अनुक्रम को नए तरीके से व्यवस्थित करते हैं। इसमें किसी ऑर्गैनज्म से डीएनए एक्सट्रैक्ट करके केमिकल या डीएनए की मदद से इसमें बदलाव कर उसे फिर से ऑर्गैनिज्म में वापस रखना भी शामिल है। ये प्रोफेशनल पीढी़ दर पीढ़ी जीवों में लक्षण और व्यवहार के परिवर्तन को भी स्टडी करते हैं। इसमें रंग, आकार और रूपरेखा में होने वाले बदलाव भी शामिल हैं। जेनेटिक इंजीनियरिंग का कोर्स वैसे तो बहुत कम संस्थानों में है, लेकिन छात्र इससे संबंधित कोर्स में प्रवेश ले सकते हैं।
कैसे मिलेगा प्रवेश
जेनेटिक्स के स्पेशलाइज्ड कोर्स पोस्टग्रेजुएट स्तर पर ही संचालित किए जाते हैं, लेकिन संबंधित विषयों से बैचलर डिग्री के बाद इसमें करियर बनाया जा सकता है। इससे संबंधित कोर्स करने के लिए साइंस बैकग्राउंड से शिक्षा प्राप्त करना जरूरी है। 50 फीसदी अंकों के साथ साइंस स्ट्रीम से बारहवीं की परीक्षा पास करने वाले छात्र माइक्रोबायोलॉजी, बायोटेक्नोलॉजी, बायोकेमिस्ट्री आदि में प्रवेश लेने के योग्य होते हैं। इसमें प्रवेश संस्थान द्वारा आयोजित एंट्रेंस टेस्ट के वैलिड स्कोर के आधार पर मिलता है। इसके बाद स्पेशलाइजेशन हासिल करने के लिए जेनेटिक इंजीनियरिंग या इससे संबंधित कोर्स में प्रवेश ले सकते हैं। इसके बाद छात्रों के पास एमफिल और पीएचडी का विकल्प भी होता है।
कहां कर सकते हैं जॉब
जेनेटिक इंजीनियर मेडिकल और फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री, एग्रीकल्चर सेक्टर, सरकारी और प्राइवेट एजेंसियों के रिसर्च एंड डेवलपमेंट क्षेत्र में जॉब कर सकते हैं। बायोटेक लेबोरेटरी में रिसर्च, एनर्जी और एंवायरनमेंट से संबंधित इंडस्ट्री, एनिमल हसबैंड्री, डेयरी फार्मिंग आदि में भी रोजगार के अवसर हैं। इसके अलावा विभिन्न शिक्षण संस्थानों में इस क्षेत्र के प्रोफेशनल्स के लिए बेहतर कॅरिअर की संभावनाएं हैं।
क्या होगा सैलरी पैकेज
जेनेटिक इंजीनियरिंग के क्षेत्र में फ्रेशर को 30 हजार रुपए प्रति माह सैलरी मिलने की संभावना होती है। कुछ वर्ष के अनुभव के बाद सैलरी पैकेज औसतन 60 हजार रुपए प्रति माह तक हो सकता है। प्राइवेट रिसर्च संस्थानों में पैकेज और ज्यादा होने की संभावना होती है। वहीं शिक्षण संस्थानों में शुरुआती पैकेज 30 से 35 हजार रुपए प्रति माह हो सकता है।
जरूरी स्किल
- साइंटिफिक टेम्परामेंट
- एनालिटिकल स्किल
- क्वांटिटेटिव स्किल
- टीम मैनेजमेंट

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