DB Analysis: सीटें बढ़ने की वजह से हर साल गिरा एंट्रेस का कटऑफ
एजुकेशन डेस्क,कोटा। इस साल दो महत्वपूर्ण एग्जाम जेईई मेन और नीट के परिणाम आ चुके हैं। दोनों में कट ऑफ स्कोर गिरा है। यह साफ है कि दोनों ही मुश्किल एग्जाम हैं। पर सीटें बढ़ने के बाद उनको भरने के लिए यह कट ऑफ गिराई जा रही है। नीट में तो एग्जाम देने वालों में से 50 प्रतिशत स्टूडेंट्स को काउंसलिंग के लिए बुलाया जाता है। मेन में काउंसलिंग के लिए सभी पात्र होते हैं।
भास्कर ने जब इन दोनों एग्जाम की कट ऑफ का एनालिसिस किया तो सामने आया है कि नीट में सभी कैटेगरी में ही कट ऑफ गिर रही है। मेन और एडवांस्ड का भी यही हाल है। हालंकि पिछले साल 18 बोनस अंकों के कारण एडवांस्ड की कट ऑफ बढ़ी थी।
सुपर 30 के संस्थापक आनंद कुमार ने दैनिक भास्कर को बताया कि इंजीनियरिंग में रुझान कम होता जा रहा है। वहीं स्टूडेंट्स को क्वालिफाई कराने के लिए संस्थानों को कट ऑफ से समझौता करना पड़ रहा है। एनआईटी सिस्टम और आईआईटी की सीटों को भरना भी एक चैलेंज है। अगर पेपर का लेवल सही होगा तो ही कट ऑफ बढ़ सकता है। इस साल मेन के पेपर में मैथ्स का पार्ट लेंदी था। मेरे हिसाब से पेपर मुश्किल बनाना भी कट ऑफ गिरने का प्रमुख कारण है।
सीटें बढ़ाते हैं, फिर भरने के लिए कम करनी पड़ती है कट ऑफ
जेईई मेन : 6 साल में 11% गिरी कट ऑफ
- जेईई मेन 2013 से शुरू हुआ था। इस अवधि के दौरान मेन का कट ऑफ प्रतिशत सामान्य वर्ग में करीब 11 प्रतिशत गिर गया है। 2013 से लेकर 2018 तक हर कैटेगरी में कट ऑफ गिरा ही है। इस साल निशक्तजन का कट ऑफ माइनस 35 अंक आया है। सामान्य वर्ग की ही बात करें तो मेन का कट ऑफ स्कोर आज तक 33 प्रतिशत से अधिक नहीं गया है। औसतन 12 लाख स्टूडेंट्स हर साल मेन का एग्जाम देते हैं। मेन में भले ही स्टूडेंट की आखिरी रैंक आई हो, लेकिन उसको कॉमन काउंसलिंग में भाग लेना का मौका मिलता है। उत्तर पूर्वी राज्यों के स्टूडेंट्स को होम कोटे से 10 लाख की रैंक पर भी एनआईटी अलॉट हो जाती है।
जनरल की कट ऑफ 31.38 से 20.55 हुई
कैटेगरी |
2013 | 2014 | 2015 | 2016 | 2017 | 2018 |
सामान्य |
31.38 | 31.94 | 27.77 | 27.77 | 22.05 | 20.55 |
ओबीसी |
19.44 | 20.55 | 19.44 | 19.44 | 13.61 | 12.50 |
एससी |
13.88 | 14.72 | 13.88 | 14.44 | 8.88 | 8.05 |
एसटी |
12.50 | 13.05 | 12.22 | 13.33 | 7.5 |
6.66 |
जेईई एडवांस्ड : सीटें बढ़ने के साथ ही गिरती गई कट ऑफ
- 2017 में जेईई एडवांस्ड की कट ऑफ ओबीसी को छोड़कर एकदम से बढ़ गई थी। दरअसल, 18 बोनस अंकों और 20 हजार स्टूडेंट्स को अधिक क्वालिफाई करने के नियम के कारण पहली बार कट ऑफ बढ़ी थी। हालांकि 18 बोनस अंकों के कारण आईआईटी के एंट्रेंस एग्जाम पर पहली बार सवाल भी खड़े हुए थे।
- साल 2015 व 2016 में हर कैटेगरी में कट ऑफ कम हुई थी। यहां तक की बच्चों को क्वालीफाई करवाने के लिए आईआईटी की ओर से तय कट ऑफ तक को गिराना पड़ गया था। पिछले साल पहली बार तय कट ऑफ प्रतिशत को गिराने की नौबत नहीं आई।
35 फीसदी पर ही काउंसलिंग का मौका
साल |
जनरल | एससी | एसटी |
ओबीसी |
2014 |
35 | 17.5 | 17.5 | 31.38 |
2015 |
24.5 |
12.25 | 12.25 | 22.05 |
2016 |
20 | 10 | 10 | 18 |
2017 |
35 | 31.5 | 17.5 | 17.5 |
नीट: क्वालिफाई करने को 18% अंक पर्याप्त
- नीट में भी कम कट ऑफ के कारण करीब 50% स्टूडेंट्स को काउंसलिंग के लिए आमंत्रित किया जाता है। हाल में जारी हुए नीट के रिजल्ट में फिर से कट ऑफ गिरी है।
- साल 2016 से नियमित रूप से नीट शुरू हो गया था। इससे पहले एआईपीएमटी होने के कारण कुछ स्टेट ही इसमें भाग लेते थे, इस कारण साल 2016 से पहले तक कट ऑफ ऊंची ही जाती थी। लेकिन अब दो साल से सामान्य कैटेगरी में 18 प्रतिशत अंक हासिल करने वाला भी नीट क्वालिफाई कर जाता है।
पर्सेंटाइल में जारी होता है स्कोर : सभी निजी व सरकारी कॉलेज में एडमिशन के लिए नीट जरूरी है। ऐसे में ज्यादा फीस के कारण कम आय वर्ग के स्टूडेंट्स द्वारा छोड़ी गई सीट सक्षम परिवार के स्टूडेंट्स को मिल जाती है। नीट का स्कोर पर्सेंटाइल में जारी होता है। इसको प्रतिशत में गणना करें तो दो साल में नीट के क्वालीफाइंग प्रतिशत में करीब दो प्रतिशत की गिरावट आई है।
मेडिकल एंट्रेंस के स्कोर की स्थिति
कैटेगरी |
2016 | 2017 | 2018 |
सामान्य |
20.13 | 18.2 | 16.52 |
ओबीसी |
16.38 | 14.9 | 13.33 |
एससी |
16.38 | 14.9 | 13.33 |
एसटी |
16.38 | 14.9 | 13.33 |
निशक्त |
18.91 | 16.4 | 14.86 |

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